ज्ञानं परमं बलम्

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Sunday 25 June 2017

आइये श्रद्धांजलि दे दे जस्टिस पी.एन.भगवती को

जून के माह में ही जस्टिस पी.एन.भगवती का निधन हो गया है जिसे संविधान और राजनीती विज्ञान पढने वाले लोग तो हमेशा याद रखेंगे |
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीएन भगवती का 95 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया . बता दें कि जस्टिस भगवती को भारत में जनहित याचिकाओं की अवधारणा के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है. जस्टिस भगवती भारत के 17वें मुख्य न्यायाधीश थे. वे जुलाई1985 से दिसंबर 1986 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे|
 भारतीय न्यायिक व्यवस्था में उत्तरदायित्व की शुरूआत करने का श्रेय जस्टिस भगवती को ही जाता है.जनहित याचिका के साथ उन्होंने लोगो के मूल अधिकारों की भी रक्षा की. अपने एक अहम फ़ैसले में उन्होंने कहा था कि क़ैदियों के भी मानवाधिकार हैं. बता दें कि 1978 में जस्टिस भगवती ने मेनका गांधी पासपोर्ट मामले में अहम फ़ैसला देकर जीवन के अधिकार की व्याख्या कर आदेश दिया था कि किसी व्यक्ति के आवागमन पर रोक नहीं लगाई जा सकती है.एक व्यक्ति के पास पासपोर्ट रखने का अधिकार है|

स्मरण रहे कि दिल्ली के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने 2 जुलाई 1977 को मेनका गांधी को भारतीय पासपोर्ट एक्ट की धारा 10(3) सी के तहत जनहित में एक सप्ताह के भीतर अपना पासपोर्ट जमा कराने के लिए कहा था. जिसे बाद में मेनका ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी |